राजस्थान का एक छोटा सा इलाका जहाँ पर चारो तरफ रेत ही रेत फैली रहती है उस इलाके का नाम है गाडोदा। ये लगभाग सालासर बालाजी धाम से बमुश्किल १० या १२ किलोमीटर पड़ता होगा। उस समय उस इलाके में राजस्थान सरकार की बिजली योजना पर काम किया जा रहा था। काम करने वाले अदिकतर मजदूर बिहार के थे जो गांव के बहार बने के सुनसान घर में रह रहे थे, / गरमी की वजह से वो लोग घर की छत पे सोये थे अछानक उनमे से एक जिसका नाम मोहितो था की आँख खुली तो उसने आसमा पर कोई बड़ी चीज देखि जिसमे न जाने कहाँ से नीला प्रकाश आ रहा था। वो बड़ी चीज एक रेतीले टीले के पीछे जाकर ज़मीन से टकरा गई।
उसने (मोहितो) ने अपने सुपर विजर मिथुन को जगाया और वो २ - ३ लड़को को साथ लेकर उस टाइल की तरफ़ चल पड़ा जहाँ पर वो बड़ी सी थाली (जैसा की मोहितो ने बताया की वो थाली के आकर की थी ) ज़मीन था वहां पर। जोर जोर से टी था वो जोर जोर से चलाने था जोरसे चलाने लगा द्गुल रही थी। उनमे से एक कमजोर दिल का लड़का था वो जोर जोर से से भूत भूत चिल्लाने लगा । तभी वहां उस बड़े से यान से नीला नीला प्रकाश निकला और पलक झपकते ही सब के सर के ऊपर से जाकर गायब हो गया । वो लोग डर के मारे अपने घर में चले गए । सुबह उन्होंने गाँव को बताया तो लोगो ने उन् पर यकीन नही किया ।
लेकिन जब गाँव के लोगो ने जाकर देखा तो उस जगह पर बहुत बड़ा गोलाकार धब्बा पड़ा था । और उस मिटटी में चुम्बकीये शक्ति थी। आज भी उस जगह पर यदि कोई पालतू पशु चला जाए तो पागलो जैसी हरकत करने लगता है।
ये सब क्या था कैसे हुआ ॥ ? ये आज बी रहस्य है॥
Monday, August 24, 2009
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